स्वतंत्र छत्तीसगढ़ :
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुवे कहा कि एक बालिग़ लडकी को उसकी इच्छा के बिना कुछ भी करने पर मजबूर नहीं किया जा सकता है | अदालत ने ये फैसला 25 वर्षीय युवती के प्रेमी की याचिका पर सुनाया है | इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने इस इस याचिका की सुनवाई में देरी को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट को फटकार भी लगाया है |
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर .गवई एवं संदीप मेहता की बेंच में टिप्पणी करते हुवे कहा कि जब एक हैबियस कार्पस डेटेन्यू मारी चिदंबरम ने अपनी याचिका में कर्नाटक हकोरती को साफ़ शब्दों में बताया था कि वह अपना करियर बनाने के लिए दुबई वापस जाना चाहती है तो उच्च न्यायायालय को उसे तत्काल प्रभाव से मुक्त कराने का आदेश देना चाहिए था , लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और 14 मौकों पर इस मामले को स्थगित किया | और अब इसे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया है | जो कि संवेदनशीलता की कमी को दर्शाता है |
सुप्रीम कोर्ट न यह भी कहा कि ,जब किसी व्यक्ति की स्वतन्त्रता का सवाल शामिल हो तो फैसले में एक दिन की डेरी भी मायने रखती है | कोर्ट ने अब पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वह पीड़ित को पासपोर्ट एवं अन्य दस्तावेज 22 जनवरी तक सौंप दिए जाए | साथ ही उसे अपने प्रेमी के माता पिता के साथ जाने की अनुमति भी दे दी है |
ख़बरें और भी …