रायपुर, 13 मई 2025
नृसिंह जयंती के पावन अवसर पर सोमवार को राजधानी रायपुर के महादेव घाट में श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला, जब श्रीजगन्नाथ मंदिर पीयूष नगर से भगवान श्रीजगन्नाथ जी की चंदन यात्रा का भव्य समापन नौका विहार के साथ हुआ। भक्तों की अपार भीड़ और भक्ति संगीत के स्वर वातावरण को दिव्यता से भर रहे थे। इस आयोजन में श्रीजगन्नाथ जी की प्रतिमा को विशेष साज-सज्जा के साथ मंदिर से महादेव घाट लाया गया, जहाँ गाजे-बाजे के बीच प्रभु का नौका विहार सम्पन्न हुआ। घाट पर भक्तों ने महाआरती की और छाछ व मिठाई का महाप्रसाद वितरण किया गया।
इस पावन अवसर पर श्री राधा राशेश्वर शरण महाराज, विधायक पुरन्दर मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार अनिल पवार, ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष योगेश तिवारी, बजरंग दल से राकेश यादव सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। श्रीजगन्नाथ मंदिर के पुजारी अरविंद अवस्थी जी ने श्रीजगन्नाथ जी की लीलाओं का वर्णन करते हुए सभी को प्रभु के दिव्य स्वरूपों का स्मरण कराया।यह भी पढ़ें;एयर इंडिया और इंडिगो ने सुरक्षा कारणों से 13 मई की कई उड़ानें की रद्द, सीमा क्षेत्र में बढ़ी सतर्कता; फिर जम्मू-कश्मीर के सांबा क्षेत्र में संदिग्ध ड्रोन की गतिविधि देखी गई…
उन्होंने बताया कि प्रभु हरि युग-युग में धर्म की स्थापना, अधर्म का नाश और भक्तों की रक्षा हेतु विभिन्न रूपों में अवतरित होते हैं। कलियुग में कोई नया अवतार नहीं होता, इसलिए द्वापर युग की लीलाओं को आधार बनाकर भगवान श्रीकृष्ण स्वयं ‘दारु विग्रह’ के रूप में श्रीजगन्नाथ जी बनकर पुरी के पुरुषोत्तम क्षेत्र में प्रकट हुए। इसीलिए उन्हें ‘कलियुगे कालिया’ कहा जाता है।
पुजारी जी ने श्रीजगन्नाथ जी के विभिन्न ब्रह्म रूपों का उल्लेख किया:
- वारी ब्रह्म — माँ गंगा
- शब्द ब्रह्म — श्रीमद्भागवत महापुराण
- नाद ब्रह्म — महामंत्र कीर्तन
- शिला ब्रह्म — शालिग्राम
- अन्न ब्रह्म — महाप्रसाद
- दारू ब्रह्म — स्वयं श्रीजगन्नाथ
उन्होंने यह भी बताया कि पुरी धाम में प्रभु तीन स्वरूपों में पूजित हैं:
- महाकाली स्वरूप — क्योंकि वे पूर्ण ब्रह्म हैं।
- भैरव स्वरूप — माँ विमला के साथ, जो शक्तिपीठ हैं।
- नारायण स्वरूप — श्रीकृष्ण के रूप में।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्रीकृष्ण ही पूर्ण ब्रह्म परमात्मा हैं। एक कथा का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि माता पार्वती ने भगवान शिव को वचन दिया था कि द्वापर युग में वे पुरुष रूप में प्रकट होंगी और भगवान शिव नारी रूप में। इसी वचन के अनुसार, प्रभु श्रीकृष्ण ने स्वयं को कन्या स्वरूप में बाबा नंद जी के घर प्रकट किया, जो आगे चलकर विंध्याचल में निवास करने लगीं। अतः विंध्याचल को पूर्ण शक्तिपीठ और पुरी को पूर्ण ब्रह्म स्थान माना जाता है, जहाँ भगवती और भगवान दोनों का वास है। पूरे आयोजन के दौरान बार-बार यह संदेश गूंजता रहा कि:
“हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम से प्रगट हरि में जाना।” प्रभु किसी भौतिक वस्तु से नहीं, बल्कि शुद्ध प्रेम से ही प्रसन्न होते हैं। महादेव घाट में हुए इस पवित्र आयोजन ने भक्तों के हृदय को प्रभु प्रेम और भक्ति भाव से भर दिया।
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