रायपुर : 05 जून 2025
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत कार्यरत संविदा कर्मचारियों की लंबित मांगों पर आखिरकार सरकार ने गंभीर रुख अपनाते हुए बड़ा कदम उठाया है। संविदा कर्मचारियों की हड़ताल और प्रदर्शन के बाद राज्य शासन ने एक उच्चस्तरीय पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो इन कर्मचारियों की मांगों पर विस्तार से चर्चा कर समाधान प्रस्तुत करेगी।
इस पांच सदस्यीय समिति की पहली बैठक आज दोपहर 12 बजे राजधानी रायपुर स्थित राज्य कार्यालय में आयोजित की गई है। बैठक में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की प्रमुख मांगों—समय पर वेतन भुगतान, संविलियन, ग्रेड पे स्केल निर्धारण, चिकित्सा अवकाश आदि—पर गंभीर विचार-विमर्श किया जाएगा। साथ ही इन मांगों को पूरा करने के लिए एक व्यावहारिक और ठोस कार्ययोजना तैयार करने पर भी चर्चा की जाएगी।
एक मई को हुआ था बड़ा प्रदर्शन:
गौरतलब है कि एक मई को राज्यभर के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी रायपुर के तुता धरना स्थल पर एकत्र हुए थे। आंधी-तूफान और तेज बारिश के बीच भी कर्मचारियों ने हौसला नहीं छोड़ा और अपनी मांगों के समर्थन में स्वास्थ्य भवन का घेराव किया था। इस दौरान कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि वर्षों से सेवा देने के बावजूद उन्हें नियमित कर्मियों जैसी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। न तो वेतन समय पर मिलता है और न ही पदोन्नति या स्थायीत्व का कोई भरोसा है।
प्रदर्शन के बाद स्वास्थ्य सचिव और मिशन संचालक ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों पर विचार कर उचित निर्णय लिया जाएगा। अब सरकार की ओर से समिति का गठन इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
समिति करेगी अन्य राज्यों का अध्ययन:
गठित समिति का दायित्व केवल चर्चा तक सीमित नहीं रहेगा। यह समिति अन्य राज्यों में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं का अध्ययन भी करेगी। इसके आधार पर छत्तीसगढ़ के लिए एक उपयुक्त वेतनमान, ग्रेड पे और अन्य सेवा शर्तों से जुड़ा प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को सौंपेगी।
16 हजार से अधिक संविदा कर्मियों की उम्मीदें:
छत्तीसगढ़ में इस समय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत लगभग 16,000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी कार्यरत हैं। ये कर्मचारी प्रदेश के शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों के अलावा दूरदराज के ग्रामीण, अति-पिछड़े और वनांचल क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। इन कर्मचारियों की सेवाएं कोविड-19 महामारी के दौरान विशेष रूप से सराहनीय रही थीं, लेकिन इसके बावजूद वे अब तक अस्थायी और असुरक्षित सेवा स्थितियों में काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन: एक दृष्टि:
भारत सरकार द्वारा 12 अप्रैल 2005 को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के रूप में इस योजना की शुरुआत की गई थी। बाद में इसे व्यापक करते हुए “राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन” नाम दिया गया, जिसके तहत शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने का लक्ष्य रखा गया। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य, जहां भौगोलिक और सामाजिक जटिलताएं अधिक हैं, वहां इस मिशन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें:
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की जो प्रमुख मांगें हैं, वे इस प्रकार हैं:
- नियमित वेतन भुगतान सुनिश्चित करना
- संविलियन (नियमितीकरण) की प्रक्रिया शुरू करना
- ग्रेड पे और वेतनमान में सुधार
- चिकित्सा अवकाश समेत अन्य लाभ
- सेवा सुरक्षा और स्थायीत्व
आगे की राह:
आज होने वाली बैठक में समिति इन सभी मुद्दों पर विचार कर एक प्रारंभिक खाका तैयार करेगी। इसके बाद अगली बैठकों में इसपर विस्तार से चर्चा कर प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। कर्मचारियों को उम्मीद है कि वर्षों की अनदेखी के बाद अब उनकी आवाज़ शासन तक सही रूप में पहुंची है और यह समिति उनके भविष्य की दिशा तय करेगी।
संविदा कर्मचारियों ने फिलहाल आंदोलन स्थगित कर दिया है, लेकिन उनकी नजरें समिति की कार्यवाही और सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं। यदि समिति की सिफारिशों पर अमल होता है, तो यह छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के साथ-साथ हजारों परिवारों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा।
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