कोरबा: 17 जून 2025
जिले के स्वास्थ्य महकमे पर एक बार फिर गंभीर लापरवाही का आरोप लगा है। वनांचल क्षेत्र भटगांव निवासी एक विशेष पिछड़ी जनजाति की महिला मघही बाई (उम्र लगभग 30 वर्ष) और उसके नवजात शिशु की मौत ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया है। यह घटना अजगरबहार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में घटी, जहां महिला की प्रसव के दौरान मौत हो गई।
11 साल बाद गर्भवती हुई थी महिला
मृतका मघही बाई पहाड़ी कोरवा जनजाति से थी और 11 वर्षों बाद गर्भवती हुई थी। इससे पहले उसके दो बार गर्भपात हो चुके थे। स्वास्थ्य मानकों के अनुसार, ऐसे मामलों को “हाई रिस्क प्रेगनेंसी” की श्रेणी में रखा जाता है, और स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि ऐसे मामलों में गर्भवती महिला का इलाज विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में हायर सेंटर यानी संसाधनयुक्त अस्पताल में होना चाहिए। लेकिन इस मामले में यह प्रक्रिया पूरी तरह नदारद रही।
पति का आरोप: डॉक्टर नहीं, नर्स ने कराया प्रसव
मघही बाई के पति अमर सिंह पहाड़ी कोरवा का आरोप है कि वे रविवार दोपहर करीब 1 बजे पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अजगरबहार लेकर पहुंचे। वहां केवल एक नर्स मौजूद थी। उन्होंने बताया, “बच्चे का जन्म हुआ और वह शुरू में ठीक था। फिर पत्नी को ड्रिप चढ़ाई गई और इंजेक्शन दिया गया। थोड़ी देर में बच्चे की मौत हो गई और कहा गया कि पत्नी को कोरबा रेफर किया जाएगा, लेकिन रेफर करने से पहले ही उसकी भी मौत हो गई।”
स्वास्थ्य विभाग की सफाई
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. एसएन केसरी ने कहा कि महिला का यह तीसरा गर्भ था और पहले दो बार उसका गर्भपात हो चुका था। इस बार की डिलीवरी टर्म से पहले (प्रीमैच्योर) हुई। “बच्चा मृत पैदा हुआ था (स्टिल बर्थ), जिसका वजन 1.4 किलोग्राम था। महिला की डिलीवरी की तारीख अभी 10 दिन बाद की थी। अस्पताल पहुंचने पर बीपी सामान्य था, लेकिन बाद में बढ़ गया और उसे झटके आने लगे। 108 एंबुलेंस से रेफर की तैयारी की जा रही थी कि महिला की मौत हो गई।”
सीएमएचओ ने माना कि महिला हाई रिस्क प्रेगनेंसी में थी और ऐसे मामलों में स्पष्ट निर्देश हैं कि उन्हें विशेषज्ञों की निगरानी में हायर सेंटर में डिलीवरी करानी चाहिए। उन्होंने कहा, “अचानक प्रसव पीड़ा शुरू होने से परिजन उसे सीधे पीएचसी ले आए और रेफर का समय नहीं मिल सका। ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर से विस्तृत जांच रिपोर्ट मंगाई गई है और यदि लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।”
ग्रामीणों में आक्रोश, गांव में मातम
मघही बाई की मौत ने भटगांव गांव को शोक में डुबो दिया है। पूरे गांव में मातम पसरा है, क्योंकि 11 साल बाद गर्भवती हुई महिला की मौत ने परिवार की खुशियों को गम में बदल दिया। सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा गया।
क्या कहती हैं स्वास्थ्य नीतियाँ?
स्वास्थ्य विभाग की नीति के अनुसार, पहाड़ी कोरवा जैसी विशेष पिछड़ी जनजातियों की महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना और हाई रिस्क प्रेगनेंसी प्रोटोकॉल के तहत विशेष देखरेख मिलनी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि महिला को समय रहते उचित चिकित्सकीय सुविधा मिलती, तो संभवतः यह त्रासदी टल सकती थी।