राजनांदगांव जिले में अवैध ईंट भट्टों का बोलबाला: खनिज विभाग की अनदेखी से पर्यावरण और राजस्व को भारी नुकसान…

राजनांदगांव: 23 अप्रैल 2025 (स्वतंत्र छत्तीसगढ़)

बढ़ते वायु और जल प्रदूषण, साथ ही अवैध खनन पर उच्च न्यायालय की सख्ती के बावजूद जिले में लाल ईंटों का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। कोर्ट के स्पष्ट आदेशों और राज्य शासन की सख्त हिदायतों के बावजूद जिला खनिज विभाग की निष्क्रियता ने अवैध ईंट भट्ठा संचालकों के हौसले बुलंद कर दिए हैं।

जिला मुख्यालय के अंतर्गत आने वाले डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत अछोली, अंडी, बरनारा, मेढ़ा, रेंगाकठेरा, मुड़पार, कलकसा, संडीडीह, लतमर्रा समेत कई गांवों में लाल ईंट के भट्ठे पूरी क्षमता से संचालित हो रहे हैं। यहां न केवल प्रतिबंधित ईंटों का उत्पादन हो रहा है, बल्कि चोरी की बिजली और हरे वृक्षों की कटाई कर ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरणविदों का कहना है कि इन भट्टों से लगातार पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर शासन को राजस्व का भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ईंट निर्माण के लिए शासकीय और निजी भूमि से मिट्टी का अवैध खनन, भूजल दोहन और जंगलों की अंधाधुंध कटाई एक गंभीर संकट का संकेत दे रही है।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि खनिज और राजस्व विभाग की निष्क्रियता के कारण इन अवैध भट्टों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे वैध व्यवसायियों को नुकसान पहुंच रहा है और अवैध संचालकों को खुली छूट मिल रही है।

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि ईंट व्यवसाय में मुनाफा अधिक होने के चलते कई लोग नियम-कानूनों की अनदेखी कर अवैध भट्ठे चला रहे हैं। यदि स्थिति पर जल्द ही नियंत्रण नहीं पाया गया, तो आने वाले समय में पर्यावरणीय संकट और राजस्व हानि और भी विकराल रूप ले सकती है।

प्रशासन और संबंधित विभागों की इस लापरवाही ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब ईंट निर्माण पर पाबंदी है, तो फिर बाजारों में ये ईंटें कहां से और कैसे पहुंच रही हैं?

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