उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा और कांग्रेस नेता धनेंद्र साहू के बीच सकारात्मक संवाद, शांति प्रयासों की हुई सराहना
रायपुर: 3 मई 2025 (भूषण )
छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलवाद के खिलाफ चल रही सरकारी कार्यवाहियों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धनेंद्र साहू से हुई टेलीफोनिक बातचीत को अपने सोशल मीडिया पर साझा किया है। उन्होंने बताया कि साहू समेत कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सरकार के प्रयासों की सराहना की, जिसे लेकर उन्होंने व्यक्तिगत रूप से फोन कर आभार जताया।
विजय शर्मा ने अपने पोस्ट में लिखा, “हम सब चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो। इस दिशा में जो भी साथ आएगा, हम उसका सम्मान करेंगे।” बातचीत के दौरान धनेंद्र साहू ने भी इस मुद्दे पर सरकार के कामों की सराहना करते हुए कहा, “जो सच है, उसे बोलना चाहिए। जब पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई हो रही है तो विपक्ष में रहकर भी उसका विरोध नहीं किया जा सकता।”
उप मुख्यमंत्री ने बातचीत में बताया कि बस्तर क्षेत्र में नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए विशेष सर्वे कराकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके साथ ही स्थानीय युवाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बस्तर ओलंपिक और बस्तर पुंडम जैसे आयोजन किए जा रहे हैं।
विजय शर्मा ने यह भी बताया कि बस्तर में शांति के लिए बलिदान देने वाले जवानों और नागरिकों की याद में “बलिदानी स्मारक” बनाए जा रहे हैं। अब तक 500 से ज्यादा स्मारकों की योजना तैयार है, जिन पर संगमरमर की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और प्रत्येक पर करीब तीन लाख रुपये खर्च होंगे।
धनेंद्र साहू ने इन पहलों को “सच्चा सम्मान” बताते हुए कहा, “यह उन वीरों के प्रति उचित श्रद्धांजलि है जिन्होंने राज्य की सुरक्षा के लिए अपना बलिदान दिया।” विजय शर्मा ने यह भी जानकारी दी कि वे इस बार झीरम घाटी जाकर वहां शहीद नेताओं को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इस पर साहू ने समर्थन जताते हुए कहा, “झीरम जैसी घटनाएं किसी पार्टी की नहीं, पूरे समाज की पीड़ा होती हैं। ऐसी जगहों पर एकजुटता दिखाना ही सही राजनीति है।”
इस पूरे घटनाक्रम पर छत्तीसगढ़ के दूसरे उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “अगर विपक्ष सरकार के अच्छे कार्यों का समर्थन करता है, तो यह आदर्श राजनीति की मिसाल है।” हालांकि उन्होंने कांग्रेस के कुछ नेताओं पर निशाना भी साधा और कहा, “जो पार्टी पांच साल तक नक्सलियों को परोक्ष संरक्षण देती रही, वही आज सरकार को विफल बता रही है। इससे साफ है कि उनके मन में अब भी नक्सलियों के प्रति नरमी है।”
इस संवाद से छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नई सियासी समझदारी की झलक मिली है, जो राज्य की शांति और विकास के लिए सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
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