तेन्दूपत्ता संग्राहकों की प्रोत्साहन राशि में भ्रष्टाचार: 11 समिति प्रबंधक हटाए गए, संचालक मंडल भंग…

सुकमा: 06 मई 2025 (संवाददाता )

तेन्दूपत्ता संग्राहकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि के वितरण में सामने आए बड़े भ्रष्टाचार मामले में शासन ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ी कार्रवाई की है। जिले की 11 प्राथमिक वनोपज समितियों के प्रबंधकों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है, वहीं इन समितियों के संचालक मंडल को भी भंग कर दिया गया है। इससे पहले इसी मामले में सुकमा जिले के डीएफओ (वनमंडलाधिकारी) को निलंबित कर दिया गया था। अब इस भ्रष्टाचार के सिलसिले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने डीएफओ को गिरफ्तार भी कर लिया है।

कई वर्षों से लंबित थी राशि का वितरण
सुकमा जिले में सीजन वर्ष 2021 के लिए 31,356 तेन्दूपत्ता संग्राहकों को 4.53 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2022 के लिए 18,918 संग्राहकों को 3.32 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जानी थी। इनमें से वर्ष 2021 में 10,131 संग्राहकों को 1.38 करोड़ रुपये और वर्ष 2022 में 5,739 संग्राहकों को 74 लाख रुपये की राशि सीधे उनके बैंक खातों में अंतरित की गई थी। हालांकि, जिन संग्राहकों के बैंक खाते उपलब्ध नहीं थे, उन्हें नकद भुगतान की अनुमति सुकमा कलेक्टर की अनुशंसा पर शासन द्वारा दी गई थी। इसके लिए समुचित राशि जिला यूनियन को हस्तांतरित की गई थी।

जांच में सामने आया कि कुछ समितियों ने नगद भुगतान कर दिया, परंतु 11 समितियां—जिनमें सुकमा, फूलबगड़ी, दुब्बाटोटा, जगरगुंडा, मिचीगुड़ा, बोड़केल, कोंटा, जग्गावरम, गोलापल्ली, किस्टाराम और पालाचलमा शामिल हैं—इनके द्वारा प्रोत्साहन राशि का वितरण ही नहीं किया गया। इससे हजारों संग्राहक अपनी मेहनताना राशि से वंचित रह गए। अब शासन ने न सिर्फ इन 11 समिति प्रबंधकों को हटाने का निर्णय लिया है, बल्कि संबंधित नोडल अधिकारियों पर भी कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। वन विभाग ने समिति के संचालक मंडलों को भी तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है।

राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि आदिवासी और वनोपज संग्राहकों के अधिकारों का हनन किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर मामले की निगरानी उच्च स्तर पर की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है।

इस भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद स्थानीय तेन्दूपत्ता संग्राहकों में आक्रोश देखा जा रहा है। उनका कहना है कि जंगलों में पसीना बहाकर जो कमाई होती है, वह भी समय पर नहीं मिलती और कुछ अधिकारी उसमें भी भ्रष्टाचार करते हैं। फिलहाल इस पूरे मामले की विस्तृत जांच चल रही है। शासन का दावा है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और पूरे वितरण तंत्र को पारदर्शी और डिजिटल बनाया जाएगा।

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