रायपुर स्काई-वॉक प्रोजेक्ट फिर से शुरू: 8 साल बाद अधूरे सपने को मिलेगी मंजिल…

रायपुर: 15 मई 2025

राजधानी रायपुर के बहुप्रतीक्षित और लंबे समय से विवादों में घिरे स्काई-वॉक प्रोजेक्ट को अब नया जीवन मिलने जा रहा है। करीब 8 साल से अधूरा पड़े इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लोक निर्माण विभाग (PWD) ने फिर से शुरू करने की कवायद तेज कर दी है। विभाग ने इसके लिए 37 करोड़ 75 लाख रुपए की प्रशासनिक मंजूरी दे दी है। साथ ही टेंडर प्रक्रिया पूरी कर निर्माण कार्य फिर से प्रारंभ करने का आदेश भी जारी कर दिया गया है।

अधूरे ढांचे को अब मिलेगा आकार

2017 में शुरू हुए इस स्काई-वॉक का उद्देश्य था कि रेलवे स्टेशन, शास्त्री चौक, जय स्तंभ चौक और अंबेडकर अस्पताल जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में पैदल यात्रियों को सुरक्षित और सुगम रास्ता मिल सके। लेकिन तकनीकी, प्रशासनिक और राजनीतिक कारणों से यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया। अब पीएसएस कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. रायपुर को इसका निर्माण कार्य सौंपा गया है।

क्या-क्या होगा स्काई-वॉक में?

  • कुल लंबाई: करीब 1.5 किलोमीटर
  • एस्केलेटर: 12 स्थानों पर चढ़ने-उतरने के लिए
  • सीढ़ियाँ: सभी एस्केलेटर बिंदुओं पर और 2 अतिरिक्त स्थानों पर
  • लिफ्ट: अंबेडकर अस्पताल से DKS अस्पताल तक सीधे जुड़ाव के लिए
  • रोटरी सिस्टम: शास्त्री चौक पर बनेगा, जिससे हर दिशा में चढ़ना-उतरना संभव होगा
  • स्लैब और फ्लोरिंग: स्टील गर्डर के ऊपर RCC स्लैब, उस पर टाइल्स
  • रेलिंग और कवरिंग: दोनों ओर स्टील की रेलिंग और पॉली-कार्बोनेट शीट छत पर

स्काई-वॉक से किन्हें होगा फायदा?

  1. रोजाना 40,000+ पैदल यात्री, जो जय स्तंभ चौक, शास्त्री चौक, अंबेडकर अस्पताल क्षेत्र में आवाजाही करते हैं।
  2. सरकारी कार्यालयों और अस्पतालों में आने-जाने वाले आम नागरिक।
  3. मरीज, जिन्हें अंबेडकर अस्पताल से DKS अस्पताल तक जाना होता है — अब ट्रैफिक से जूझना नहीं पड़ेगा।

वर्तमान स्थिति और मरम्मत की जरूरत

PWD की तकनीकी टीम द्वारा की गई जांच में यह सामने आया है कि अधूरे ब्रिज के कुछ हिस्सों में जंग लग चुकी है। साथ ही एसीपी शीट, एल्यूमीनियम फ्रेम, डिवाइडर रेलिंग आदि चोरी हो गए हैं। लेकिन स्टील संरचना और नट-बोल्ट सही हालत में पाए गए हैं। अब आगे का काम जैसे वेल्डिंग, पेंटिंग, हुड फिक्सिंग, टाइल फ्लोरिंग, रेलिंग आदि नए सिरे से पूरा किया जाएगा।

पिछली सरकार में अटका था प्रोजेक्ट

यह प्रोजेक्ट कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ था, लेकिन विभिन्न अड़चनों के चलते यह लगातार टलता गया और अधूरा रह गया। इसके निर्माण की धीमी गति, खराब योजना और पर्यावरणीय पहलुओं की अनदेखी को लेकर इस पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी लगते रहे। अब भाजपा सरकार ने इसे फिर से चालू करने का निर्णय लिया है।

लागत में इजाफा

प्रोजेक्ट की नई स्वीकृत लागत 37 करोड़ 75 लाख 70 हजार 682 रुपए है, जो कि पूर्व अनुमानित लागत से 20.17% अधिक है। यह वृद्धि महंगाई, सामग्री लागत और निर्माण में देरी के चलते हुई है।

गुणवत्ता और समय सीमा को लेकर सख्ती

PWD मंत्रालय ने इस बार निर्माण कार्य में गुणवत्ता, डिजाइन और पर्यावरणीय मानकों का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ठेकेदार को यह काम निर्धारित समय में पूरा करने के स्पष्ट निर्देश भी जारी किए गए हैं।

शहर के लिए सौंदर्यीकरण का अवसर

स्काई-वॉक सिर्फ एक सुविधा नहीं बल्कि रायपुर शहर के सौंदर्यीकरण और आधुनिकीकरण का प्रतीक भी होगा। पॉली-कार्बोनेट शीट से ढके यह ब्रिज मॉडर्न लुक देगा और आने-जाने वालों को धूप और बारिश से भी सुरक्षा प्रदान करेगा। साथ ही नीचे चलने वाले ट्रैफिक से पैदल यात्रियों को पूर्ण रूप से अलग कर देने वाला यह प्रोजेक्ट शहर के ट्रैफिक मैनेजमेंट को भी बेहतर बनाएगा।

लगभग एक दशक से अधूरा पड़ा रायपुर का स्काई-वॉक प्रोजेक्ट अब पुनः सक्रिय हो चुका है। राज्य सरकार की मंशा है कि इसे शीघ्र पूरा कर आम नागरिकों को लाभ पहुंचाया जाए। निर्माण कार्य की गुणवत्ता और समयबद्धता पर यदि सही तरीके से ध्यान दिया गया तो यह प्रोजेक्ट रायपुर शहर के विकास का एक नया अध्याय बन सकता है। साथ ही शहरवासियों के लिए यह एक बड़ी सुविधा और गर्व का कारण होगा।

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