इंदौर : 26 मई 2025
भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) इंदौर के एक नवीन अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में स्टार्टअप इनक्यूबेशन इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भले ही तेज़ी से हुआ हो, लेकिन इस पारिस्थितिकी तंत्र में प्रक्रिया-स्तरीय समझ, प्रभावी मूल्यांकन और सुसंगत डेटा की गंभीर कमी है।
आईआईएम इंदौर की पूर्व छात्रा सोनाली गुप्ता और प्रोफेसर डी. एल. सुंदर द्वारा किया गया यह अध्ययन जर्नल ऑफ पब्लिक अफेयर्स में प्रकाशित हुआ है। इसमें देश के बिजनेस इनक्यूबेशन मॉडल की आलोचनात्मक समीक्षा करते हुए अधिक साक्ष्य-आधारित और प्रक्रिया-संचालित नीति की मांग की गई है।
अध्ययन में कहा गया है कि स्टार्टअप इंडिया और अटल इनोवेशन मिशन जैसी पहलों के अंतर्गत भारत में 1,000 से अधिक इनक्यूबेटर स्थापित किए गए हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये इनक्यूबेटर किस हद तक उद्यमिता को वास्तव में समर्थन दे पा रहे हैं। अध्ययन नीति निर्माताओं और उद्योग जगत से अपील करता है कि वे इनक्यूबेटरों के मूल्यांकन और समर्थन के तरीकों पर पुनर्विचार करें।
यह रिपोर्ट भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और दीर्घकालिक परिणाम देने वाला बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप के रूप में देखी जा रही है।
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