रायपुर : 05 मई 2025 (रिपोर्ट -भूषण )
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हाल ही में बस्तर क्षेत्र को लेकर जो बयान दिया है, वह न केवल एक राजनीतिक घोषणा है, बल्कि राज्य के भविष्य की दिशा में विश्वास और संकल्प का प्रतीक भी है। उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि सरकार नक्सलवाद की समाप्ति के बाद बस्तर को छत्तीसगढ़ का ‘मुकुटमणि’ बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
नक्सलवाद का समापन: एक ठोस रणनीति:
मुख्यमंत्री ने विश्वास के साथ कहा कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूर्णतः मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भरोसा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से तय डेडलाइन और केंद्र सरकार के सहयोग पर जताया। विष्णुदेव साय का मानना है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे अभियानों में सुरक्षा बलों को लगातार सफलता मिल रही है, और इसका परिणाम जल्द ही नक्सलवाद के पूर्ण खात्मे के रूप में सामने आएगा। बस्तर क्षेत्र, जो कभी नक्सली हिंसा का प्रमुख केंद्र था, अब धीरे-धीरे शांति और विकास की ओर अग्रसर हो रहा है। नक्सलियों की बढ़ती आत्मसमर्पण की संख्या – पिछले 15 महीनों में 1300 से अधिक – सरकार की रणनीति की प्रभावशीलता को दर्शाती है। नई नक्सली आत्मसमर्पण, पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025 इसी सोच की उपज है, जिसमें न केवल आत्मसमर्पण करने वालों को बेहतर पुनर्वास की व्यवस्था दी जा रही है, बल्कि हिंसा के पीड़ितों को भी मुआवजा, रोजगार और भूमि जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
बहुआयामी रणनीति और संयुक्त कार्य बल:
नक्सलवाद से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बहुआयामी रणनीति अपनाई है। पड़ोसी राज्यों – तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र – के सहयोग से एक संयुक्त कार्य बल का गठन किया गया है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में नक्सलियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने का काम कर रहा है। इसका उद्देश्य नक्सलियों को एक राज्य से दूसरे राज्य में भागने से रोकना और समन्वित अभियान के जरिए उनकी गतिविधियों को कुचलना है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार की नीति ‘बात के बदले बात और गोली के बदले गोली’ की रही है, लेकिन साथ ही आत्मसमर्पण करने वालों को मुख्यधारा में लाने का भी प्रयास जारी है। यह संतुलनपूर्ण दृष्टिकोण राज्य में स्थायी शांति की नींव रख रहा है।
नियद नेल्लनार योजना: समग्र ग्रामीण विकास:
विकास को जमीनी स्तर पर ले जाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने “नियद नेल्लनार योजना” शुरू की है, जिसका अर्थ है – “आपका अच्छा गांव”। इसके तहत सुरक्षा शिविरों के आसपास के गांवों में 17 विभागों की 52 योजनाएं और 31 सामुदायिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। सड़क निर्माण, बिजली लाइन बिछाना, राशन कार्ड बनाना, शासकीय दस्तावेज उपलब्ध कराना – ये सभी उपाय बस्तर के दूरदराज इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम हैं। इससे न केवल लोगों का जीवन स्तर सुधर रहा है, बल्कि सरकार के प्रति विश्वास भी बढ़ा है। अब बस्तर के लोग खुद चाहते हैं कि नक्सलवाद का अंत हो।
पर्यटन और बस्तर की सुंदरता
बस्तर को एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का सरकार का दृष्टिकोण भी काफी स्पष्ट है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बस्तर का शांत और हरा-भरा वातावरण, झरने, गुफाएं और घने जंगल इसे पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाते हैं। चित्रकोट जलप्रपात, जिसे “एशिया का नियाग्रा” कहा जाता है, इसका प्रमुख उदाहरण है। पिछले वर्ष बस्तर के धुड़मारस गांव और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थान मिला है, जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। सरकार होमस्टे परियोजनाओं को बढ़ावा दे रही है, जिससे स्थानीय आदिवासियों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ हो रहा है। पर्यटन को अब उद्योग का दर्जा भी दिया गया है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश और रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं।
विकास की योजना: संतुलन और सतर्कता:
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि बस्तर में औद्योगिकीकरण जबरदस्ती नहीं किया जाएगा। खनन को लेकर उठ रही चिंताओं पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों से परामर्श के बिना कोई उद्योग स्थापित नहीं किया जाएगा।
नए उद्योग नीति में जनसुनवाई का प्रावधान रखा गया है, जिससे स्थानीय समुदाय की सहमति सुनिश्चित की जा सके। सरकार का उद्देश्य बस्तर की जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखते हुए लघु वनोपज, पशुपालन और पर्यटन आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना है।
बस्तर का भविष्य: छत्तीसगढ़ का मुकुटमणि:
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भविष्यवाणी की है कि आने वाले 10 वर्षों में बस्तर छत्तीसगढ़ का सबसे विकसित और समृद्ध क्षेत्र बनेगा। नक्सलवाद की समाप्ति के साथ ही यहां विकास की नई संभावनाएं जन्म लेंगी। खनिज संसाधनों से भरपूर इस क्षेत्र में लौह अयस्क, बॉक्साइट, कोयला, टिन, सोना और लिथियम जैसे खनिजों की उपलब्धता बस्तर को औद्योगिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है। लेकिन सरकार का उद्देश्य इन संसाधनों का सतत और जिम्मेदार उपयोग करते हुए स्थानीय जनजातीय आबादी को लाभ पहुंचाना है। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार का बस्तर के लिए विजन केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक ठोस रणनीति पर आधारित दीर्घकालिक विकास योजना है। नक्सलवाद की समाप्ति के साथ बस्तर को न केवल शांति और सुरक्षा मिलेगी, बल्कि यह क्षेत्र पर्यटन, कृषि, लघु उद्योग और सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से राज्य का गौरव बन सकता है।
अगर योजनाओं का क्रियान्वयन इसी गति और दृढ़ता से होता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब बस्तर नक्सलवाद से मुक्त होकर विकास, समृद्धि और स्थायी शांति का प्रतीक बन जाएगा।
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