बीजापुर/बस्तर: 05 मई 2025 (संवाददाता )
बस्तर संभाग में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान के तहत बीजापुर और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ में जारी ऑपरेशन के 14वें दिन एसटीएफ के दो जवान प्रेशर बम की चपेट में आकर घायल हो गए। दोनों घायलों को तत्काल रेस्क्यू कर बीजापुर जिला अस्पताल लाया गया, जहां उनका इलाज जारी है। जवान खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं। घायलों की पहचान थानसिंह और अमित पांडे के रूप में हुई है। दोनों जवानों को पैर में चोटें आई हैं। यह घटना उस समय हुई जब सुरक्षा बल इलाके की घेराबंदी कर सर्चिंग अभियान चला रहे थे।
इस ऑपरेशन में बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं और कर्रेगुट्टा के पहाड़ी क्षेत्र में लगातार घुसपैठ कर माओवादियों के ठिकानों को खंगाला जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, गृह मंत्री विजय शर्मा और पुलिस के आला अधिकारी ऑपरेशन की नियमित निगरानी कर रहे हैं।
माओवादियों के लिए नया दबाव:
पूरे बस्तर में चल रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन का लक्ष्य माओवादियों को उनके सेफ जोन से बाहर निकालना और उन्हें आत्मसमर्पण या समाप्ति के विकल्प तक ले जाना है। सुरक्षा बल अब जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों में भी गश्त और सर्चिंग कर रहे हैं, जिससे माओवादियों के नेटवर्क पर सीधा प्रभाव पड़ा है।
नई पुनर्वास नीति का असर:
सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के लिए नई पुनर्वास नीति लागू की है। इसके तहत न सिर्फ नकद सहायता दी जा रही है, बल्कि स्किल डेवलपमेंट और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसका असर भी दिखने लगा है, क्योंकि कई माओवादी हाल के महीनों में आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य:
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का पूरी तरह से सफाया कर दिया जाएगा। कर्रेगुट्टा में चल रहा अभियान इसी दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।
नक्सलियों की मांग पर सरकार का साफ इंकार:
माओवादियों ने कर्रेगुट्टा ऑपरेशन को बंद करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है। अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि ऑपरेशन तब तक जारी रहेगा जब तक माओवादियों का अंत नहीं हो जाता या वे आत्मसमर्पण नहीं कर देते।
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