रायपुर : 25 मई 2025
झीरम घाटी नक्सली हमले की 12वीं बरसी पर कांग्रेस नेताओं ने राजधानी रायपुर स्थित राजीव भवन में शहीद नेताओं और कार्यकर्ताओं को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने शहीदों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। उपस्थित सभी जनों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस दौरान झीरम हमले की जांच को लेकर केंद्र सरकार और एनआईए पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पिछली सरकार ने हमले की निष्पक्ष जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, लेकिन केंद्र सरकार और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जांच में बार-बार अड़चनें डालीं।
भूपेश बघेल ने कहा, “एनआईए ने पहले 2014 में चार्जशीट दाखिल की और फिर 2015 में सप्लीमेंट्री चार्जशीट लगाकर जांच बंद कर दी। ना पीड़ितों से पूछताछ हुई, ना संदिग्धों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की गई। जब राज्य सरकार ने एसआईटी बनाई, तो एनआईए ने फिर से जांच शुरू कर दी और हाईकोर्ट से एसआईटी की जांच पर रोक लगवा दी। बाद में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने एनआईए की याचिकाएं खारिज कर दीं, लेकिन तब तक सरकार बदल चुकी थी।” उन्होंने आगे कहा कि “झीरम हमला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर हमला था। 12 साल बीत गए, लेकिन आज तक न तो पीड़ितों को न्याय मिला और न ही सच्चाई सामने आई। भाजपा की सरकारों ने हमेशा इस जांच को रोकने का प्रयास किया।
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नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने झीरम हमले को कांग्रेस के लिए एक न भरने वाला घाव बताते हुए कहा कि यह घटना देश के लोकतंत्र पर एक स्थायी कलंक है। उन्होंने सवाल उठाया कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को नक्सल प्रभावित इलाके में क्यों हटाया गया था। उन्होंने कहा, “यह केवल सुरक्षा में चूक नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश भी हो सकती है। भाजपा के नेता शायद इसीलिए जांच से डरते हैं कि कहीं उनका षड्यंत्र उजागर न हो जाए।” कार्यक्रम में अन्य कांग्रेसजनों ने भी झीरम हमले में शहीद हुए नेताओं और कार्यकर्ताओं को याद करते हुए सरकार से इस मामले की निष्पक्ष और तेज़ जांच की मांग की।
25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमला हुआ था, जिसमें तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा, विधायक उदय मुदलियार सहित कई नेता और कार्यकर्ता शहीद हुए थे। इस हमले को लेकर आज भी कई सवाल अनुत्तरित हैं, और पीड़ित परिवार न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
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