सरगुजा : 25 मई 2025
ग्रामीण और आदिवासी अंचलों की अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में राज्य सरकार की एक और पहल रंग ला रही है। तेंदूपत्ता, जिसे स्थानीय स्तर पर ‘तेंदू पान’ के नाम से जाना जाता है, अब ग्रामीणों की आय का महत्वपूर्ण स्रोत बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा तेंदूपत्ता की दर में की गई ₹1500 प्रति मानक बोरा की ऐतिहासिक वृद्धि से संग्राहकों को सीधा लाभ मिल रहा है। पहले जहां प्रति बोरा ₹4000 मिलते थे, अब यह दर ₹5500 कर दी गई है, जिससे तेंदूपत्ता संग्राहकों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।
सरगुजा जिला तेंदूपत्ता संग्रहण में प्रदेश में सबसे आगे चल रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, जिले को 36,200 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य मिला था, जिसमें से अब तक 35,217.129 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संकलन किया जा चुका है। यह 97.28% लक्ष्य की पूर्ति है, जो कि राज्य में एक उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जा रही है।
ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बना रहा है तेंदूपत्ता संग्रहण
दरिमा क्षेत्र की बरगवां समिति में तेंदूपत्ता बेचने आईं फूलेश्वरी ने बताया कि वे वर्ष 2019 से तेंदूपत्ता संग्रहण कर रही हैं और उनका पूरा परिवार इस कार्य में सहभागी है। फूलेश्वरी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, “अब हमें पहले से बेहतर मूल्य मिल रहा है, जिससे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और परिवार की जरूरतें आसानी से पूरी हो जाती हैं।” तेंदूपत्ता संग्रहण खासकर गर्मी के मौसम में किया जाता है। इस दौरान हजारों ग्रामीण, विशेषकर महिलाएं, जंगलों में जाकर तेंदू पत्तों का संग्रहण करती हैं और वन समितियों के माध्यम से उसे बेचती हैं। सरकार की ओर से तय की गई नई दर न केवल उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिला रही है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बना रही है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा घोषित तेंदूपत्ता दर वृद्धि को लेकर ग्रामीणों और संग्राहकों के बीच व्यापक संतोष है। यह निर्णय ना केवल लघु वनोपज संग्राहकों की आय को बढ़ाने वाला है, बल्कि इससे राज्य की वानिकी आधारित अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी।
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