छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: कवासी लखमा के करीबी सहयोगियों पर ACB/EOW की बड़ी कार्रवाई, 13 स्थानों पर छापेमारी…

रायपुर: 18 मई 2025

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर शराब घोटाले की गूंज तेज हो गई है। राज्य में करोड़ों रुपये के इस कथित घोटाले की जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रदेशभर में 13 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा के करीबी सहयोगियों के ठिकानों पर की गई। छापेमारी के दौरान 19 लाख रुपये नकद, कई बैंक खातों की जानकारी और जमीनों में निवेश से जुड़े दस्तावेज बरामद किए गए हैं। रायपुर के देवेंद्र नगर के शहीद हेमू कलाणी वार्ड स्थित जी नागेश्वर राव और जी श्रीनिवास राव के घर भी छापा पड़ा है। जी नागेश्वर कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं। छापेमारी के दौरान टीम कई दस्तावेज और डिजिटल सबूत अपने साथ ले गई है। श्रीनिवास कांग्रेस से पार्षद प्रत्याशी थे। नागेश्वर राव कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा के करीबी हैं। सुबह 2 गाड़ियों में करीब 8-10 अधिकारियों ने दबिश दी।

13 दलों की एक साथ कार्रवाई:

अधिकारियों ने बताया कि ACB और EOW की संयुक्त कार्रवाई में रायपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा में 13 स्थानों पर छापेमारी की गई। इसके लिए 13 अलग-अलग दल बनाए गए थे, जिनमें जांच अधिकारियों, फोरेंसिक विशेषज्ञों और तकनीकी टीमों को शामिल किया गया था। कार्रवाई पूर्व मंत्री लखमा के सहयोगियों, मित्रों, साझेदारों और रिश्तेदारों के ठिकानों पर केंद्रित रही।

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लखमा की संलिप्तता की पुष्टि:

सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसियों को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि लखमा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए न केवल खुद को, बल्कि एक संगठित गिरोह को भी अवैध लाभ पहुंचाया। गोपनीय जानकारी के आधार पर एजेंसियों को यह भी पता चला है कि लखमा ने अवैध रूप से प्राप्त धन को अपने करीबी लोगों के माध्यम से निवेश करवाया और उसे जमीनों में लगाया गया।

बरामद हुए महत्वपूर्ण दस्तावेज:

छापेमारी के दौरान एजेंसियों ने कई बैंक खातों से जुड़ी जानकारियाँ, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और जमीनों में निवेश से संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए हैं। इन दस्तावेजों का विश्लेषण किया जा रहा है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि कितनी मात्रा में धन का अवैध हस्तांतरण हुआ और कौन-कौन लोग इसमें शामिल रहे।

शराब घोटाले की पृष्ठभूमि:

यह कथित शराब घोटाला वर्ष 2019 से 2022 के बीच का है, जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री थे। उस दौरान कवासी लखमा आबकारी मंत्री के रूप में कार्यरत थे। जांच एजेंसियों का दावा है कि इस घोटाले के जरिए राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है और गिरोह ने अवैध रूप से 2,100 करोड़ रुपये तक की कमाई की है।

ईडी की कार्रवाई और लखमा की गिरफ्तारी:

इस वर्ष जनवरी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कवासी लखमा को इसी शराब घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद से वे रायपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं। लखमा छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रह चुके हैं और राज्य के आदिवासी राजनीति के प्रमुख चेहरों में गिने जाते हैं।

ईडी की शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि शराब बिक्री और आपूर्ति की पूरी प्रक्रिया में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। इस घोटाले में न केवल राजनीतिक व्यक्ति, बल्कि उच्च पदस्थ नौकरशाह और आबकारी विभाग के अधिकारी भी शामिल थे। ईडी ने कहा था कि यह एक सुनियोजित गिरोह था जिसने राज्य में शराब कारोबार को नियंत्रित कर भ्रष्टाचार को संस्थागत स्वरूप दे दिया था।

राज्य के खजाने को भारी नुकसान

ईडी और ACB की संयुक्त जांच में यह अनुमान लगाया गया है कि इस घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है। शराब के ठेकों की निविदाएं, परिवहन शुल्क, अनुबंधों में हेराफेरी और अवैध सप्लाई चेन के माध्यम से बड़ी मात्रा में पैसे की हेराफेरी की गई। ये धनराशि नकदी, अचल संपत्तियों और बोगस कंपनियों के जरिए इधर-उधर की गई।

क्या कहती है सरकार?

छत्तीसगढ़ में वर्तमान में भाजपा सरकार है और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार इस घोटाले की जांच को प्राथमिकता दे रही है। सरकार का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाई गई है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं कांग्रेस पार्टी इस पूरे प्रकरण को “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बता रही है और लखमा की गिरफ्तारी को पूर्वाग्रह से प्रेरित बता चुकी है।

आगे क्या?

जांच एजेंसियों द्वारा जब्त दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों का विश्लेषण किया जा रहा है। संभावना है कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियाँ हो सकती हैं और मामले की परतें और खुलेंगी। यह घोटाला केवल वित्तीय अपराध ही नहीं, बल्कि राज्य के प्रशासनिक तंत्र में फैले भ्रष्टाचार की गहराई को भी उजागर करता है।

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