रायपुर: 22 मई 2025
छत्तीसगढ़ में अवैध सट्टा कारोबार एक गंभीर और व्यापक समस्या के रूप में उभर रहा है। अवैध पाकिस्तानी सटोरियों द्वारा राज्य में सट्टा नेटवर्क का बड़े पैमाने पर संचालन किया जा रहा है। रायपुर, दुर्ग, तिल्दा, भाटापारा और चकरभाठा जैसे इलाकों में ये सट्टा कारोबारी खुलेआम सक्रिय हैं, जिससे न सिर्फ राज्य की आर्थिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है, बल्कि समाज में भी अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। विशेष रूप से रायपुर के मोवा, दलदल सिवनी और सड्डू इलाके अवैध सट्टेबाजों के लिए सुरक्षित क्षेत्र बन चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये सटोरिए मेहनतकश आम जनता को अपने जाल में फंसा कर उनकी जीवनभर की कमाई को मिनटों में खत्म कर देते हैं।
हाल ही में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के साथ सटोरियों की तस्वीरें वायरल होने के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई कठोर कदम नहीं उठाए गए। इससे सट्टा संचालकों के हौसले और बुलंद हो गए हैं। आरोप है कि पुलिस सिर्फ छोटे स्तर के सटोरियों को पकड़कर इतिश्री कर लेती है, जबकि बड़े सट्टा सरगना अब भी खुलेआम अपना काम चला रहे हैं।
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तिल्दा बना सट्टा कारोबार का हब
तिल्दा क्षेत्र को अब “छत्तीसगढ़ का सट्टा केंद्र” कहा जा रहा है। बताया जा रहा है कि यहां सट्टे के खाईवालों के मुंबई और देश-विदेश के नेटवर्क से सीधे संबंध हैं। 2016 में जहां तिल्दा में केवल चार-पांच बुकी सक्रिय थे, वहीं अब इस संख्या में कई गुना वृद्धि हो चुकी है। तिल्दा क्षेत्र में अब 16 से अधिक बड़े खाईवाल सक्रिय हैं, जो देशभर में चल रहे सट्टे की बुकिंग करते हैं।
राजनीतिक संरक्षण के आरोप
चौंकाने वाली बात यह है कि सट्टा कारोबार में राजनीतिक संरक्षण का भी आरोप लग रहा है। स्थानीय लोगो के अनुसार कांग्रेस पार्टी के कुछ पार्षदों के नाम सट्टा कारोबार से जुड़े हैं। ‘गणपति बुक’, ‘गजानन बुक’ और ‘महादेव बुक’ जैसे एप्स के जरिए यह कारोबार ऑनलाइन माध्यम से भी तेजी से फैलता जा रहा है।
नकली उत्पादों का कारोबार भी जारी
इन्हीं पाकिस्तानी मूल के कथित कारोबारी नकली खोवा, नकली पनीर, नकली दूध, नकली चावल और नकली कपड़ों का व्यापार भी संचालित कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में नकली उत्पादों की सबसे अधिक बरामदगी इन्हीं क्षेत्रों से हो रही है, जिससे राज्य की छवि प्रभावित हो रही है।
प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती
इस पूरे प्रकरण ने राज्य सरकार, पुलिस प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह नेटवर्क और भी मजबूत हो जाएगा और आम नागरिकों को इससे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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